छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले के सारकेगुड़ा की रहने वाली मड़कम रत्ना बहुत धीरे-धीरे बात करती हैं.
सात साल पहले की घटना को कुरेदने पर वो जैसे अतीत में लौट जाती हैं, "मेरा भाई मड़कम रामविलास 15 साल का था. दौड़ने में उसका कोई मुकाबला नहीं था. गांव की पगडंडियों पर ऐसे दौड़ता था जैसे उड़ रहा हो."
रत्ना अपने भाई को याद करके बताती हैं कि कैसे उसका भाई गर्मी की छुट्टियों में भी पढ़ाई करता रहता था और स्कूल में सबसे अधिक नंबर लाता था.
वे कहती हैं, "पढ़ने-लिखने में ब्रिलियेंट था वो. वकील बनना चाहता था. लेकिन पुलिस ने मेरे भाई को मार डाला."
मड़कम रत्ना छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले के उन लोगों में शामिल हैं, जिनके परिजन 28-29 जून 2012 की रात सीआरपीएफ़ और सुरक्षाबलों के हमले में मारे गये थे.